Sunday, 15 July 2012

स्वपन

स्वपन तब भी थे
जब रात काली थी
स्वपन आज भी हैं
जब दिन का उजाला हैं
आव्वाक रह जाता हूँ
जब लक्षमण रेखा
मटमैले रंग से
लाल रंग में परवर्तित होती हैं
इंगित सपने काषाय रंग बनकर
गद्दारी करते हैं ......................रवि विद्रोही

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