स्वपन
स्वपन तब भी थे
जब रात काली थी
स्वपन आज भी हैं
जब दिन का उजाला हैं
आव्वाक रह जाता हूँ
जब लक्षमण रेखा
मटमैले रंग से
लाल रंग में परवर्तित होती हैं
इंगित सपने काषाय रंग बनकर
गद्दारी करते हैं ......................रवि विद्रोही
स्वपन तब भी थे
जब रात काली थी
स्वपन आज भी हैं
जब दिन का उजाला हैं
आव्वाक रह जाता हूँ
जब लक्षमण रेखा
मटमैले रंग से
लाल रंग में परवर्तित होती हैं
इंगित सपने काषाय रंग बनकर
गद्दारी करते हैं ......................रवि विद्रोही
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