Sunday 15 July 2012

 खून सने शब्द

नाखून जब शब्द लिखते हैं
रक्त शिराएँ में उबाल आता हैं
रूह बंद हैं ताबूतो में,
इंसान
सभ्यताओ से सवाल करता हैं
इंसानों ने सभ्यताओ की
चादर ओढ़ रखी हैं
रात का अन्धेरा
सभ्यताओं की गहराई नापता हैं
और सुबह का उजाला
इंसानों का प्रवाह देखता हैं ........................RV

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