Saturday 17 December 2011

वास्तव में

वास्तव में तुम
तुम डरे हुए  लोग हो

पुराने फटेहाल छाते के नीचे
अपने आप को भ्रमित करते
एक सोच देते हुए कि
तुम बच जाओगे
वास्तव में
तुम मरे हुए लोग हो

क्षण में मासा
क्षण में तौला
झील की लहरों पर
चुपचाप चलते हो
दुनिया बदलने के नाम पर
अपने आप को छलते हो
बाद की बदनीयत को
कहना चाहते हो
पर खुद इसी  बदनीयत में
रहना चना हो
वास्तव में तुम
झूठ से लधे लोग हो

तुम्हारा  पल्लव विराट
और आसमानी कद
 ना डूब जाए
अंधेरो में
इसी बात पे दुनिया से झगड़ते हो
पर अपने ही कुछ लोगो को
नीच समझकर
रोज उनको घुटनों नीचे रगडते हो
दुनिया क्रान्ति लाती हैं
और तुम झूठी शान्ति
देखा जाए तो
शांन्ति के नाम पर
पाखण्ड में डूबे
वास्तव में
 तुम कायर लोग हो

महानतम  किताबे
रचते हो तुम
और उन्ही को पढ़कर
आँख के मरे हुए पानी से
नीच कहकर
इंसानों को गाली बकते हो तुम
तुम्हारी सभ्यता महान हैं
तुम्हारे आदर्श महान हैं
तुम्ही भगवान् बनते हो
तुम्ही शैतान बनते हो
मगर हकीकत तो ये ही है
वास्तव में तुम
दुनिया के जोकर लोग हो  ..................रवि विद्रोही

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