Monday 11 June 2012

अशआर ii

कमतर भी थी गंवारा ,बाकी की गनीमत हैं
दो घूँट बच रहे हैं , साकी भी मस्त अब तो ...

 इस तहे अफ्लाफ जमीं पर, आप कीजिये शुमार
जो खुद को खुदा कहते हैं, और खुद हैं खाकसार ......

तहे अफ्लाफ= आसमान के नीचे
 रंगी -अबाएं इश्क में, ये सितम भी इंतेखाब हैं,
जो कनीज लूट गई जहाँ, तेरा खुल्द लाजवाब हैं .....

रंगी -अबाएं इश्क= रंगीन प्यार में लिपटा हुआ
इंतेखाब= चुना हुआ
कनीज= जालिमो द्वारा ऐय्याशी के लिए रखी गई बेसहारा लडकियां
खुल्द = स्वर्ग

 बर खिलाफ शिकवे
हटाकर तो देखिये
हद-ऐ-नजर पढेगी
बेनियाज दिल हमारा .............रवि विद्रोही

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