मेरा बचपन
पौधघर था
जहां मुझे रोंपा गया
इंसानों की शानदार खेती के लिए
जवानी सीखने की
कार्यशाला थी
जहां मैंने बहुत से
हुनर सीखे
दुसरो को गिराने के लिए
शादी एक ऐसा तौफा थी
जो विज्ञापन की भांती
बाहर से ललचाता था
अन्दर से कोरा खाली था
और मेरा बुढापा
बरगद के पेड़ की तरह हैं
जो अपने नीचे किसी
दुसरे पेड़ को
पनपने नहीं देता........रवि विद्रोही
पौधघर था
जहां मुझे रोंपा गया
इंसानों की शानदार खेती के लिए
जवानी सीखने की
कार्यशाला थी
जहां मैंने बहुत से
हुनर सीखे
दुसरो को गिराने के लिए
शादी एक ऐसा तौफा थी
जो विज्ञापन की भांती
बाहर से ललचाता था
अन्दर से कोरा खाली था
और मेरा बुढापा
बरगद के पेड़ की तरह हैं
जो अपने नीचे किसी
दुसरे पेड़ को
पनपने नहीं देता........रवि विद्रोही
जीवन के कालखण्डों के प्रति भी विद्रोह ..
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